शनिवार, 1 फ़रवरी 2014

1984 दंगे नहीं नरसंहार

31 अक्टूबर 1984 को 2 सिख बॉड़ीगार्ड द्वारा इंदिरा गाँधी की हत्या कर दी गई । हत्या ऑपरेशन ब्लु स्टार के जवाब में 153 वें दिन हुई । हत्या का कारण केवल एक था - श्री हरमिंदर साहेब स्वर्ण मंदिर जैसे पवित्र स्थान पर तोप और बंदूको के साथ प्रवेश । ऑपरेशन ब्लू स्टार का उद्देश्य भिंड़रवाला का खात्मा था । भिंड़रवाला को खुद इंदिरा गाँधी ने अपनी राजनैतिक महत्वाकांशाओ के चलते खड़ा किया था इंदिरा गाँधी अकालियो के नेतृत्व को समाप्त करना चाहती थी । पर पाकिस्तानी ताकतो से मिल रही हवाओ के चलते भिंड़रवाला के नेतृत्व में अलगाववादी ताकते जन्म लेने लगी और ऑपरेशन ब्लु स्टार को अंजाम देना पड़ा ।



इस कृत्य के 153 वें दिन इंदिरा गाँधी की मृत्यु निश्चित थी । फिर चाहे इंदिरा को उसके अंगरक्षक मारते या कोई और । अब तक स्वर्ण मंदिर पर 5 बार आक्रमण हुए और हर आक्रमणकारी 153 वें दिन मृत्यु को प्राप्त हुआ । मस्सा रंगड़ फिर जकरिया खान फिर जहान खान फिर अहमद शाह अब्दाली और अंत में इंदिरा गाँधी सिखो ने हर उस इंसान का खात्मा किया जिसने उनकी आस्था से खिलवाड़ किया ।

यह फोटो ग्वालियर के एक गुरूद्वारे से ली गई है, इसे देखकर आप इस तथ्य को समझ जाऐंगे ।



ये तो बात हुई इंदिरा गाँधी की मृत्यु की परंतु इसके पश्चात जो हुआ वो भारत माँ की छाती पर एक कलंक छोड़ गया । भारत माँ के वो बच्चे जिन्होने उसकी आजादी के लिए सबसे अधिक बलिदान दिए, जिनकी आबादी 2 % होकर भी भारतीय सेना में ये 11 % हैं ऐसे वीरो का कत्लेआम हुआ ।

इंदिरा गाँधी की मृत्यु के बाद -
सुबह 9.20 बजे दिल्ली में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कों उनके 2 सिक्ख बॉडीगार्ड सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने गोलियों से छलनी कर दिया। उन्हें तुरंत एम्स (AIIMS) अस्पताल में भरती कराया गया।सुबह 10.50 बजे इंदिरा गाँधी का एम्स अस्पताल में निधन हो जाता है ।सुबह 11.00 बजे ऑल इंडिया रेडियो पर यह खबर प्रसारित हुई की इंदिरा गांधी की हत्या उनके ही दो सिख बॉडीगार्डो ने की और पुरे भारत में मातम छा जाता है ।

इस तनावपुर्ण माहौल में राजीव गाँधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिला दी जाती है । वंशवाद की एक और मिसाल कायम होती है । देश में सिखो पर छोटे - मोटे हमले होते दिखते हैं । इस हिंसा पर जब दुरदर्शन पर राजीव गाँधी से सवाल पुछा जाता है तो वो जवाब देते हैं - "जब जंगल मे कोई बड़ा पेड गिरता है तो आसपास की जमीन हिलने लगती है और छोटे मोटे पेड उखड जाते है " । इससे दंगो के पक्ष में उनका मत स्पष्ट हो जाता है ।

इन दंगो के समय भारत के राष्ट्रपती एक सिख "ज्ञानी जैलसिंह" ही थे ।सिख दंगो की जाँच कमेटी के सामने राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिह ने कहा कि उनके फ़ोन की लाईने काट दी गई थी... ताकि दिल्ली के सिख दंगों का समाचार उन तक नहीं पहुँच सके । इससे पहले उन्होने राजिव गाँधी से कई बार बात की और उन्हे सेना की सहायता लेने को कहा पर राजीव ने उनकी बात को टाल दिया।


रात में कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार, ललित माकन, H.K.L.भगत ने दंगाईयो कों संगठित कर उन्हें पैसे, तलवार, लाठियाँ, सलाखे मुहैया करवाई। जो कांग्रेसी नेता पेट्रोल पम्प के मालिक थे, उन्होंने दंगाईयो कों केरोसिन और पेट्रोल के कैन की आपूर्ति की। सिखो के घरों का पता जानने के लिये कांग्रेस नेताओं ने दंगाईयो कों वोटर कार्ड और राशन कार्ड दिए। कांग्रेसी कार्यकर्ताओ ने रात में सिक्खो के घरों पर “s” के निशान बना दिए। ताकि दूसरे दिन दंगाई जल्द से जल्द सिखो के घरों की पहचान कर, घरों में घुसकर सिखो का कत्लेआम कर सके।



1 नवम्बर 1984, दंगो का दूसरा दिन
सुबह सुबह कांग्रेस के सांसद सज्जन कुमार ने कांग्रेसी कार्यकर्ता, गुंडे और दंगाइयो को लेकर रैली निकाली, और सरेआम मासूम सिखो का क़त्ल करने के लिये नारे लगाये। सज्जन कुमार ने सिक्खो की हत्या करने वालों कों इनाम घोषित किये, कहा एक भी सिख जिन्दा ना बच पाए । प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने दंगाईयो से वादा किया कि उन्हे कांग्रेस में उच्च पद दिए जाऐंगे ।
इस नरसंहार में सबसे आगे पुलिस थी, पुलिस सिखो को मारने दंगाईयो की मदद करती थी ।
रैलगाड़ी, बसे रोक कर उनमे सवार सिक्खो कों जिन्दा जलाया गया । त्रिलोकपुरी, मंगोलपुरी, सुल्तानपुरी इलाको में सबसे ज्यादा सिख मारे गए ।




2 नवम्बर 1984, दंगो का तीसरा दिन
दिल्ली के कुछ इलाको में कर्फ्यू लगाया गया, लेकिन इसका कोई प्रभाव नहीं था। क्योकि पुलिस दंगाईयो पर कारवाई करने के बजाय उल्टा उन्हे मदद करने के आदेश दिए गये थे। आर्मी बुलाई गई पर उन्हे सख्त आदेश थे कि वो दंगाईयो पर फाइरिंग ना करे । सिखो का नरसंहार जारी रहा।


3 नवम्बर 1984, दंगो का चौथा दिन
जब दंगाई अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेती है, तब सेना और पुलिस स्थिति पर नियंत्रण करना शुरू कर देती है। छिट पुट घटनाओ कों छोड़कर शाम तक दंगे थम जाते है। दिल्ली में सिख की लाशो का अम्बार लग जाता है। 3 नवम्बर तक 2,700 से 20,000 सिख मारे गये। उन लाशो कों एम्स अस्पताल ले जाया जाता है।




दंगो की जाँच
दंगो की जांच के लिये मारवाह कमीशन, मिश्रा कमीशन, मित्तल कमिटी, नानावटी आयोग और कई अन्य आयोगों का गठन किया गया। आयोग और कोर्ट ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता सज्जन कुमार, R.K.आनंद, ललित माकन, H.K.L.भगत और कांग्रेस पार्टी कों दंगे भडकाने और दंगाईयो कों मदद करने के आरोप में सीधा सीधा दोषी ठहराया। लेकिन पुलिस और कांग्रेसी सरकारों ने कोई कारवाई नहीं की। कांग्रेस नेता जगदीश टायटलर के खिलाफ चल रहे सभी केस कोर्ट ने 2007 में पुख्ता सबूतों के अभाव में बंद कर दिए और उन्हें बरी कर दिया।
दंगो के बाद लगभग 250 FIR दर्ज की गई पर सरकार के कहने पर इन्हे रिकार्ड से हटा दिया गया ।



कांग्रेस ने इन दंगो के लिए कभी ना खेद जताया ना किसी प्रकार की हमदर्दी । सिख आज भी न्याय की आस में भटक रहे हैं । हिन्दू और सिख हमेशा भाई भाई की तरह रहा है । दोनो ने इस मातृभूमि के लिए रक्त बहाया है .. यह एक षड़यंत्र ही था भाई को भाई के हाथ मरवाने का । अपनी सियासी रोटियाँ सेकने का ।

खुद को अल्पसंख्यको की सबसे बड़ी हमदर्द बताने वाली इस पार्टी की नज़र में क्या केवल मूसलमान अल्पसंख्यक हैं । गुजरात दंगो पर नरेन्द्र मोदी को घेरने वाली ये कांग्रेस कभी अपने गिरेबान में क्यो नहीं झाकती । दंगो में सिखो की हत्या करने वाले लोग आज कांग्रेस में उच्च पदो पर बैठे हैं । क्या कांग्रेस के पास इसका जवाब है ?


9 टिप्‍पणियां:

  1. भारत की तथाकथित स्वतन्त्रता के बाद 1 ही दंगा - नरसंहार हुआ है - और वो है 2002 में गुजरात के उस समय के नवनिर्वाचित मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा |

    भारत के सभी स्व-घोषित महान सत्यवादी और प्रामाणिक तथ्यों को उजागर करने वाला मीडिया - टीवी और अखबार के माध्यम से तो आज तक यही बताते / दिखाते आ रहा है |

    भारत की भोलीभाली जनता तो उसी को सच मानती है जो मीडिया दिखाये / लिखे |

    भारत के सभी स्व-घोषित महान सत्यवादी और प्रामाणिक तथ्यों को उजागर करने वाला मीडिया यदि इस लेख में उल्लिखित तथ्यों को सच मानता तो हर चैनल आज तक हजारों बार हत्यारे गिरोह का जीना हराम कर देता |

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    1. शर्मा जी मीड़िया इन तथ्यो को मानता भी है और जानता भी है , क्योकि ये तथ्य काल्पनिक नहीं है ।
      इसमें से कुछ तथ्य पुर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की पुस्तक से हैं, कुछ उस समय के प्रत्यक्ष दर्शियो और पत्रकारो से ।

      परन्तु आज ये हिन्दुस्तान का दुर्भाग्य ही है कि देश का चौथा और सबसे महत्वपुर्ण माने जाने वाला स्तम्भ पैसो की दीवार पर ही खड़ा है ।

      नरेन्द्र मोदी उन्हे टी.आर.पी. देता है जो मरा हुआ राजीव गाँधी या इंदिरा गाँधी नहीं दे सकते ।

      जय हिन्द
      जय श्री राम

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    2. tumhare jaisa pxpati hmne nhi dekha. esa lgta h tum ya tumhara jameer 1984 m paida nhi hua tha. tbi to 1984 ke dngo pr tumne apni juban pr tep chipka liya. are hkikt m dekhta to pta chlta ki 1984 m sikho pr kitni barbarta ki gai thi. 2-2 saal ke masoom bachchho tk ko nhi bakhsa gaya.

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  2. shik samuday hindu dram ka hi hissa hai kyoki sikho me sbi hindu jaatiya milkar hi shikh dram me hai

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    1. agr sikh samuday hindu dharam da hissa hai fir 1984 vich keval sikhan te sikhan de ghran nu hi kyon nishana bnaya gya hinduan te hinduan de ghran nu kyon nahin?

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    2. भाई बेनामी ।
      आरक्षण एक ऐसा मसला है जिससे किसी में भी फुट ड़ाली जा सकती है पर सिख हमेशा सर उठा कर जीते आएं हैं इसलिए उन पर ये बात लागु नहीं हो पाई ।
      इसलिए कांग्रेसियों को जैसे ही बहाना मिला इन्होने अपने वोट बैंक के लिए सिखो पर हमले करवाए । इन्होने आग लगाए और खुब हाथ सेके ।

      उस दंगे में सिखो की हत्या करने वाले का बस एक धर्म था कांग्रेस ।

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  3. 1984 me mai 13 saalka tha uss waqt mai delhi me mayur vihar phase -I me rehta tha jiss waqt ye daange or katlo aam huwa tha maine apni ankho se dekha tha or aaj bhi uss manzar ko yaad karta hoo to dill jor se dhadak uthta hai ..........sabhi sikhh bhai apne ko asahay maan rahy they or jisse jaha jagaha milli wo wahi pe chup gaya tha lekin dangaio me jinme hindu or muslim dono they sabhi unn logo ko nikal nikal marr rahy they or jinda hi jala de rahey they................. mai or agey ab nahi likh sakta, uss wakt sirf delhi doordarshan channel tha or wo bhi congress ke control me raha hoga iss liye tv news me jyada khabar nahi dikhai jati thi lekin hummer se maloom padta tha ki sabhi jagah dangey ho rahey hai or abb to mujhe yaad bhi nahi hai ki kitne or kaun kaun log they or jo bhi log they sabhi mature log hi they kio ki koi bachcha itni badi wardat nahi kar sakta mai to matra mook darshak hi bana tha

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    1. उस समय जो भी हुआ था वो नरसंहार का ।
      मासूम लोगो का, इंसानियत का ।

      और ये काम उन्ही लोगो ने किया जो आज सत्ता में आज ऊँची सीटो पर जा बैठे हैं ।
      २०१४ ही इनको इनकी औकात बताएगा ।

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  4. Admin ne to phir v apne sanskaar nhi chhode, aur usne Shama ke sath Ji kaha, pr us sharma sutiye ko smjh nhi aayega ki ye uska samman hai ya g...d marna.

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